मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

विजयादशमी


सभी मित्रो को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाये
आज धू धू कर अपना अपना अहंकार जलाना
आज हो भूमि पुत्र तु पुनः निर्विकार हो जाना
कर देना शत्रु रुपी तु ईर्ष्या का आज मर्दन
हे महाकाल के भक्त तु ले आना भूमि मे परिवर्तन
लोभ को अपने ओझल कर देना सबसे प्रीत निभाना
देख काम और क्रोध के विकृत जाल मेँ ना फँस जाना
तु महान राम का महान पुत्र है मन का रावण जलाना
बैर किसी से ना रखना सबसे व्यवहार निभाना
तेरा स्वर भू से अंबर तक गूँजे यह कहते कहते
सदा सत्य ही विजय रहा है सत्यमेव ही जयते
किँतु रावण जिनके मन मे उनको मैँ चेताता हूँ
यह उनको अंतिम चेतावनी साथ ही ये बतलाता हूँ
राम जी के रणबाकुरोँ से तुम रावण ना टकराना
आज धू धू कर अपना अपना अहंकार जलाना


जय हिन्द जय भारत जय महाकाल जय हिंदुत्व

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